दुनियाभर में मूर्तियों के खिलाफ फूट रहा गुस्सा, अमेरिका में कोलम्बस और ब्रिटेन में रानी विक्टोरिया के स्टैच्यू को नुकसान पहुंचाया 

अमेरिका में अश्वेतजॉर्ज फ्लॉयड की मौत के बाद रंगभेद के खिलाफ एक नयी लड़ाई शुरू हो चुकी है। प्रदर्शनकारियों के निशाने पर अब ऐतिहासिक लोगों की मूर्तियां हैं। लोगों का आरोप है कि इन लोगों ने दास प्रथा को बढ़ावा दिया और गुलामों की खरीद फरोख्त की। दुनियाभर में अब तक 45 मूर्तियां तोड़ी जा चुकी हैं।

सबसे ज्यादा नुकसान अमेरिका और ब्रिटेन की मूर्तियों को हुआ है। अमेरिका के बोस्टन में क्रिस्टोफर कोलम्बस की मूर्ति को उखाड़ फेंक दिया गया। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि कोलम्बस ने अमेरिकी मूल के लोगों का नरसंहार किया। वहीं, ब्रिटेन में भी प्रदर्शनकारियों ने क्वीन विक्टोरिया की मूर्ति को नुकसान पहुंचाया। आरोप है कि उनके समय में उपनिवेशवाद को बढ़ावा दिया गया। ब्रिटेन में प्रदर्शनकारियों ने 60 ऐसी मूर्तियों की सूची बनाई है, जिन्हें वे गिराना चाहते हैं।

ब्रिटेन के लीड्स में महारानी विक्टोरिया के एक स्टैच्यू को प्रदर्शनकारियों ने पेंट स्प्रे कर खराब कर दिया। इस बाद उनके स्टैट्यू की सफाई का काम शुरू है। महारानी विक्टोरिया साल 1837 से 1901 तक ब्रिटेन की महारानी थीं।
ब्रिटेन के ब्रिस्टल में एडवर्ड कोल्सटन के स्टैच्यू को प्रदर्शनकारियों ने गिरा दिया। एडवर्ड कोल्सटन अफ्रीकी लोगों की खरीद-फरोख्त कर गुलामी के काम से जुड़ा एक व्यापारी था।
ब्रिटेन के एडिनबर्ग में राबर्ट डंडास के स्टैच्यू को प्रदर्शनकारियों ने पेंट स्प्रे से खराब कर दिया। राबर्ट डंडास के पिता हेनरी डंडास भी दास प्रथा के काम से जुड़े थे। ब्रिटेन की संसद में उन पर महाभियोग की कार्रवाई हुई थी।
बेल्जियम के ब्रसेल्स में प्रदर्शनकारियों ने राजा लियोपोल्ड द्वितीय के स्टैच्यू को नुकसान पहुंचाया। लियोपोल्ड को भी दास प्रथा को बढ़ावा देने के लिए जाना जाता है।
ब्रिटेन के लंदन में रॉबर्ट मिलिगन के स्टैच्यू को प्रदर्शनकारियों ने तोड़ दिया। मिलिगन 18वीं सदी के व्यापारी थे। प्रदर्शनकारी उन्हें गुलामों का सौदागर कहते हैं।


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अमेरिका में मैसाच्युसेट्स के बोस्टन में प्रदर्शनकारियों ने क्रिस्टोफर कोलम्बस की प्रतिमा का सिर धड़ से अलग कर दिया। यूरोपीय देशों के लिए अमेरिका की खोज कोलम्बस ने ही की थी।



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