दूसरे देशों से पहुंचे शरणार्थी करीब साल भर से यहां नजरबंद, बाहरी दुनिया देख तो सकते हैं लेकिन कहीं जा नहीं सकते

ऑस्ट्रेलिया के ब्रिस्बेन केकंगारु प्वाइंट सेंट्रल होटल में साल भर से करीब 120 शरणार्थियों को रखा गया है। इन्हें किसी से मिलने या कहीं आने जाने की इजाजत नहीं है। कुछ समय पहले तक होटल के आसपास रहने वाले लोगों को भी जानकारी नहीं थी कि यहां शरणार्थी नजरबंद है। जब लोगों को यहां की गतिविधियों पर शक हुआ तो पूरामामलासामने आया। अब इन शरणार्थियों को रिहा करने की मांग उठने लगी है।

होटल के आसपास रहने वाले लोग भी इससे नाराज है। स्थानीय लोगों का कहना है कि सरकार लोगों से बिना पूछे रिहायशी इलाके में जेल कैसे बना सकती है। वहीं, 2018 से होटल की देखरेख कर रहे सेंट्रल अपार्टमेंट ग्रुप की वेबसाइट पर इसे परिवार के साथ ठहरने के लिए अच्छा स्थान बताया गया है।

होटल में स्वीमिंग पूल भी है, लेकिन शरणार्थी इसका इस्तेमाल नहीं कर सकते।

शरणार्थियों ने होटल पर लगाए बैनर
होटल में कैद रखे गए शरणार्थियों ने भी अब अपने लिए न्याय की मांग की आवाज उठानी शुरू की है। कई शरणार्थियों ने बैनर लगाए हैं। इनमें कहा गया है कि वे बिना किसी अपराध के सात साल से हिरासत में है। एक दूसरे बैनर में इंसाफ करने की मांग की गई है। ये लोग बीन बैग के पुराने कवर या अपनी पुरानी टीशर्ट पर संदेश लिखकर होटल की बालकोनी से लटका रहे हैं। कुछ लोग हर दिन अपने कमरे के बालकोनी में शांति से खड़े होकर नजरबंदी के खिलाफ विरोध जता रहे हैं। हालांकि, कुछ ऐसे शरणार्थी भी हैं जो चुप है क्योंकि उन्हें डर है कि आवाज उठाने पर उनकी रिहाई मुश्किल होगी।

कुछ शरणार्थी अपनी पुरानी टीशर्ट पर ही संदेश लिखकर लोगों तक पहुंचा रहे हैं।

2013 में समुद्र के रास्ते पहुंचे थे ज्यादातर शरणार्थी
इनमें से ज्यादातर 2013 में समुद्र के रास्ते ऑस्ट्रेलिया पहुंचे थे। हालांकि, यहां आते ही इन्हें हिरासत में ले लिया गया और लंबे समय तक पापुआ न्यू गिनी और नाऊरु द्वीप पर रखा गया। इन दोनों द्वीपों पर शरणार्थियों को रखे जाने पर विवाद रहा है। संयुक्त राष्ट्र ने कहा था कि यहां की सही सुविधाएं नहीं है और शरणार्थियों को कठिन परिस्थिति में रखा जाता है। मानवाधिकार संगठन एमेनेस्टी इंटरनेशनल ने तो इन द्वीपों को ओपन जेल करार दिया था। पिछले साल दोनों द्वीपों से कुछ गंभीर रूप से बीमार लोगों को ब्रिस्बेन के इस होटल में लाया गया। तब से इनकी जिंदगी इस होटल के कमरे तक सिमट कर रह गई है।

होटल के बाहर शरणार्थियों के समर्थन में प्रदर्शन हो रहे हैं। लोग हर दिन आकर शरणार्थियों की रिहाई की मांग करते हैं।


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ब्रिस्बेन का कंगारु प्वाइंट होटल इन दिनों चर्चा में है। रिहायशी इलाके में स्थित होटल में पिछले साल से 100 से ज्यादा शरणार्थियों को नजरबंद रखा गया है।



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