पहली बार 175 साल पुरानी साइंस मैगजीन ने बाइडेन का समर्थन किया, कहा- उनका रिकॉर्ड हमेशा विज्ञान को मानने वाला रहा है
अमेरिका की 175 साल पुरानी साइंस मैगजीन ‘साइंटिफिक अमेरिकन’ ने राष्ट्रपति पद के चुनाव में डेमोक्रेटिक उम्मीदवार जो बाइडेन का समर्थन किया है। मैगजीन ने अपना समर्थन मंगलवार को ऑनलाइन पोस्ट किया। साथ ही वरिष्ठ संपादक जोश फिशमैन ने संपादकीय में लिखा- ‘राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प कोविड-19, स्वास्थ्य देखभाल में सुधार, कार्बन उत्सर्जन कम करने और नीति निर्माण में विज्ञान के क्षेत्र में काम करने में हमेशा फेल हुए हैं। जबकि जो बाइडेन इन सबसे निपटने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।’
साइंटिफिक अमेरिकन अमेरिका की सबसे पुरानी मैगजीन है। उसने 175 साल के इतिहास में कभी किसी राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार का समर्थन नहीं किया है।
ट्रम्प प्रशासन उम्मीद से ज्यादा फेल रहा
मैगजीन की चीफ एडिटर लॉरा हेल्मथ ने मंगलवार को कहा, ‘हमें जितना अंदेशा था, डोनाल्ड ट्रम्प और उनका प्रशासन उससे कहीं ज्यादा खराब साबित हुआ। वह विज्ञान पर भरोसा भी नहीं करते हैं। वह सिर्फ अपने फायदे के प्रोजेक्ट की बात करते हैं।
हम जो बाइडेन का समर्थन करते हैं। क्योंकि, बाइडेन का रिकॉर्ड विज्ञान की राह पर चलने वाला रहा है। वह विज्ञान को मानते हैं। वह क्लाइमेट चेंज को लेकर बात करते हैं। साथ ही वैश्विक महामारी से निपटने के उपाय भी सुझाते रहते हैं। जबकि ट्रम्प ने कोविड-19 को गंभीर रूप से नहीं लिया और इसका खामियाजा देश के लोगों को भुगतना पड़ रहा है।’
वैज्ञानिकों ने कहा, ट्रम्प ने अमेरिका को नुकसान पहुंचाया
लॉरा हेल्मथ के मुताबिक, बाइडेन का समर्थन करने के लिए वरिष्ठ संपादकों से चर्चा की गई थी। ट्रम्प ने सोमवार को कैलिफोर्निया के जंगलों में लगी आग पर सवाल उठाया था। कहा था- आग कैसे लगी? मुझे नहीं लगता कि विज्ञान के पास इसका जवाब होगा। इसे लेकर वैज्ञानिकों ने कहा- ‘सबूत और विज्ञान बताता है कि ट्रम्प ने अमेरिका को नुकसान पहुंचाया है, क्योंकि वह सबूत और विज्ञान को नकारते हैं।’
मैगजीन ने 1950 के दशक में 3000 प्रतियां जलाकर किया था विरोध
साइंटिफिक अमेरिकन मैगजीन की स्थापना 1845 में स्प्रिंगर नेचर द्वारा की गई थी। इसमें नेचर और विज्ञान से जुड़े लेख और शोध प्रकाशित होते हैं। लेकिन कई मौकों पर इसमें राजनीति से जुड़े लेख भी प्रकाशित किए जा चुके हैं। सबसे पहले मैग्जीन में 1950 के दशक में हाइड्रोजन बम को लेकर लेख प्रकाशित किया था।
मैग्जीन ने परमाणु ऊर्जा आयोग को इस मुद्दे पर सेंसर करने के लिए प्रेरित किया और हाइड्रोजन बम के विरोध में अपनी 3000 प्रतियां जला दीं। वहीं 2016 में मैगजीन के संपादकों ने विज्ञान को लेकर डोनाल्ड ट्रम्प को चेतावनी भी दी थी।
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