FATF की ग्रे लिस्ट में बना रहेगा पाकिस्तान; तुर्की का साथ नहीं आया काम, चीन ने भी किनारा किया

पेरिस में हुई ऑनलाइन बैठक में फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) ने पाकिस्तान को अपनी ग्रे लिस्ट में ही रखने का फैसला लिया है। विपक्ष के विरोध समेत कई मसलों में बुरी तरह उलझी इमरान सरकार के लिए यह बड़ा झटका है। बैठक में तुर्की ने पाकिस्तान को बचाने की कोशिश की, लेकिन चीन समेत किसी भी देश ने उसका साथ नहीं दिया। अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी भी पाकिस्तान के सक्रिय आतंकी समूहों के खिलाफ एक्शन से संतुष्ट नहीं हैं।

FATF ने शुक्रवार को कहा कि पाकिस्तान सरकार टास्क फोर्स की ओर से दिए 27 पॉइंट्स को पूरा करने में नाकाम रहा। इसके बाद यह फैसला लिया गया। पाकिस्तान को जून, 2018 में ग्रे लिस्ट में डाला गया था। चर्चा के दौरान तुर्की ने प्रस्ताव रखा कि सभी सदस्य पाकिस्तान के अच्छे काम पर विचार करें। 27 में बाकी बचे 6 पॉइंट्स पर काम पूरा होने का इंतजार करने की बजाय एक टीम पाकिस्तान भेजकर अंतिम मूल्यांकन करना चाहिए।

पाकिस्तान को टेरर फंडिंग की जांच करने की जरूरत: FATF

FATF के चेयरमैन मार्क्स पेलर ने कहा कि पाकिस्तान को टेरर फंडिंग की जांच करने की जरूरत है। पाकिस्तान ने 27 में से 21 पॉइंट्स को पूरा किया है, इसका साफ मतलब है कि दुनिया सुरक्षित हो गई है। लेकिन बाकी 6 पॉइंट्स बेहद गंभीर हैं, जिस पर उन्हें अभी भी काम करने की जरूरत है। सरकार को इन पॉइंट्स को पूरा करने की कोशिश करनी चाहिए। इन्हें पूरा करने की समय-सीमा खत्म हो गई है। पाकिस्तान को फरवरी 2021 तक सभी प्लान को पूरा करने के लिए कहा गया है।

तुर्की के प्रस्ताव का किसी ने समर्थन नहीं किया

FATF के 38 सदस्यों में से किसी ने भी प्लेनरी सेशन के दौरान तुर्की के प्रस्ताव का समर्थन नहीं किया। इन सदस्यों में पाकिस्तान के करीबी सहयोगी चीन, मलेशिया और सऊदी अरब भी शामिल हैं। इससे साफ हो गया कि फिलहाल FATF की टीम पाकिस्तान में ऑन साइट विजिट नहीं करेगी। टास्क फोर्स ने पाकिस्तान को अगले रिव्यू तक अपनी ग्रे लिस्ट में रखने का फैसला लिया। अब रिव्यू अगले साल फरवरी में होना है।

हाल ही में अधिकारियों ने बताया था कि पाकिस्तान मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फंडिंग के खिलाफ लड़ाई में ग्लोबल कमिटमेंट और मानकों को पूरा करने में नाकाम रहा है। उसने 27 सूत्रीय एक्शन प्लान में से केवल 21 ही पूरे किए। जिन टास्क को पूरा करने में पाकिस्तान नाकाम रहा है, उनमें जैश-ए-मोहम्मद सरगना मसूद अजहर, लश्कर-ए-तैयबा प्रमुख हाफिज सईद और संगठन के ऑपरेशनल कमांडर जाकिर उर रहमान लखवी जैसे संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधित सभी आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई करना शामिल है।

आर्थिक मदद मिलने में आएगी मुश्किल

पाकिस्तान के ग्रे लिस्ट में बने रहने से उसके लिए अंतरराष्‍ट्रीय मुद्राकोष (IMF), वर्ल्ड बैंक और यूरोपीय संघ से आर्थिक मदद हासिल करना मुश्किल हो जाएगा। देश की अर्थव्यवस्था पहले से खस्ताहाल है। विदेशी मदद न मिलने से उसकी हालत और खराब हो जाएगी।



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विपक्ष के विरोध समेत कई मसलों में बुरी तरह उलझी इमरान सरकार के लिए पाकिस्तान का ग्रे लिस्ट में बने रहना बड़ा झटका है। - फाइल फोटो



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