बाइडेन को 3.43 हजार करोड़ रु. का चंदा मिला; चुनाव में उतरते वक्त फंडिंग में ट्रम्प से 1.37 हजार करोड़ पीछे थे, अब 1.03 हजार करोड़ आगे
डेमोक्रेटिक पार्टी के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार जो बाइडेन को अब तक 466 मिलियन डॉलर (करीब 3.43 हजार करोड़ रुपए) का चंदा मिल चुका है। पार्टी ने बाइडेन को जब डोनाल्ड ट्रम्प के खिलाफ चुनावी मैदान में उतारा था, तब उनकी फंडिंग कम थी।
उस दौरान बाइडेन ट्रम्प से 187 मिलियन डॉलर (करीब 1.37 हजार करोड़ रु.) पीछे थे। लेकिन फंडिंग मिलने के मामले में अब बाइडेन ने ट्रम्प को पछाड़ दिया है। अब वे ट्रम्प से 141 मिलियन डॉलर (करीब 1.03 हजार रु.) आगे पहुंच गए हैं। वहीं राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प अब तक 325 मिलियन डॉलर (करीब 2.39 हजार करोड़ रु.) की फंडिंग जुटा चुके हैं।
जज की मौत के बाद डेमोक्रेटिक की फंडिंग में इजाफा
विशेषज्ञ बताते हैं- अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट की जज रूथ बेडर गिन्सबर्ग की मौत के बाद डेमोक्रेटिक पार्टी को दानदाताओं ने रिकॉर्ड तोड़ फंडिंग दी। लोगों ने सिर्फ 24 घंटों में डेमोक्रेटिक उम्मीदवारों को 90 मिलियन डॉलर (करीब 662 करोड़ रुपए) डोनेट किए।
ऑनलाइन फंड जुटाने वाले संगठन एक्टब्लू ने कहा कि गिन्सबर्ग की मौत के बाद 28 घंटों में जमीनी स्तर के दानकर्ताओं ने डेमोक्रेटिक उम्मीदवारों को 91.4 मिलियन डॉलर (करीब 672 करोड़ रुपए) दान किए, जो एक रिकॉर्ड है। दानदाताओं ने अकेले शनिवार को डेमोक्रेटिक पार्टी को 70 मिलियन डॉलर (करीब 515 करोड़ रुपए) डोनेट किए। जबकि शुक्रवार रात को एक घंटे में 6.3 मिलियन डॉलर (करीब 46.39 करोड़ रुपए) की राशि दान की।
कई बड़े व्यवसायी भी आगे आए
एक्टब्लू के निदेशक एरिन हिल ने कहा- ‘एक दिन में मिलने वाली राशि का पिछला रिकॉर्ड 41.6 मिलियन डॉलर (करीब 306 करोड़ रुपए) और एक घंटे में मिलने वाली राशि का पिछला रिकॉर्ड 4.3 मिलियन डॉलर (करीब 31.66 करोड़ रुपए) को तोड़ दिया है। बाइडेन को फंडिंग देने वालों उनके समर्थक, पार्टी के कार्यकर्ता और निम्न वर्ग से लेकर बड़े व्यवसायी तक शामिल हैं।’
पार्टियां रेडियो-टीवी की बजाय सोशल मीडिया पर खर्च कर रहीं
अमेरिका के इतिहास में पहली बार ऐसा हो रहा है जब अमेरिकी राष्ट्रपति के चुनाव महामारी के समय में हो रहे हैं। महामारी के कारण लोग बाहर कम निकल रहे हैं। चुनाव प्रचार में कम जा रहे हैं। इस कारण पार्टियां अधिक से अधिक पैसा टीवी की बजाय सोशल मीडिया पर लगा ही हैं ताकि लोगों तक पहुंचा जा सके।
दूसरी ओर पार्टियों ने अखबारों में, रेडियो पर और टीवी पर विज्ञापन भी घटाए हैं। हालांकि, एक्सपर्ट्स मानते हैं कि आखिरी डेढ़ महीने में काफी पैसा आएगा। टीवी विज्ञापन पर खर्च कम होगा। ऑनलाइन फंडिंग और बढ़ेगी।
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