ऑल पार्टी कॉन्फ्रेंस से पहले आर्मी चीफ बाजवा ने विपक्षी नेताओं से मुलाकात की थी, फौज को सियासत से दूर रखने की वॉर्निंग दी थी
पाकिस्तान में प्रधानमंत्री इमरान खान की सरकार को गिराने के लिए विपक्ष एकजुट हो चुका है। उसने ऑल पार्टी कॉन्फ्रेंस (एपीसी) बैनर तले अगले महीने से सरकार विरोधी आंदोलन शुरू करने का फैसला किया है। सोमवार को एपीसी की बैठक हुई थी। इसमें पूर्व पीएम नवाज शरीफ ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए शिरकत की थी। इस मीटिंग को फौज, आईएसआई और सरकार रद्द कराना चाहती थी। यह खुलासा कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में हुआ है।
बाजवा ने अपोजिशन लीडर्स को बुलाया था
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 21 सितंबर को हुई ऑल पार्टी कॉन्फ्रेंस से पांच दिन पहले यानी 16 सितंबर को विपक्षी नेताओं, आर्मी चीफ और आईएसआई चीफ की एक बैठक हुई थी। इन नेताओं को मीटिंग के लिए बुलाया गया था। आर्मी चीफ जनरल कमर जावेद बाजवा, आईएसआई चीफ लेफ्टिनेंट जनरल फैज हामिद के अलावा कुछ और फौजी अफसर मीटिंग के लिए इस्लामाबाद पहुंचे थे। नवाज शरीफ के छोटे भाई शहबाज शरीफ, पीपीपी चेयरमैन बिलावल भुट्टो जरदारी और मौलान फजल-उर-रहमान विपक्षी नेताओं के तौर पर पहुंचे थे।
मुद्दा कुछ और बताया गया था
रिपोर्ट्स के मुताबिक, फौज और आईएसआई के प्रमुख ने विपक्षी नेताओं को बातचीत का मकसद गिलगित-बाल्टिस्तान की स्थिति बताया था। पाकिस्तान सरकार और फौज इन क्षेत्र को राज्य का दर्जा देने पर विचार कर रही है। खास बात यह है कि मीटिंग में प्रधानमंत्री इमरान खान या उनकी सरकार को कई दूसरा नमाइंदा शामिल नहीं हुआ।
विपक्ष से क्या कहा गया
पाकिस्तानी संसद में पिछले दिनों एफएटीएफ की ब्लैक लिस्ट में आने से बचने के लिए तीन एंटी मनी लॉन्ड्रिंग बिल पास किए गए थे। एफएटीएफ की मीटिंग अगले महीने जिनेवा में होनी है। पाकिस्तान डेढ़ साल से ग्रे लिस्ट में है। अगर एफएटीएफ आतंकी फंडिंग पर रोक लगाने के पाकिस्तानी उपायों से संतुष्ट नहीं हुआ तो पाकिस्तान को ब्लैक लिस्टेड किया जा सकता है। इमरान सरकार ने बहुमत के चलते बिल तो पास करा लिए लेकिन विपक्ष इनका विरोध कर रहा है। फौज सरकार के साथ है। लिहाजा, वो सरकार पर पकड़ मजबून बनाए रखने के लिए विपक्षी नेताओं पर दबाव डाल रही है।
विपक्षी नेताओं का आरोप है कि इमरान फौज की मदद से प्रधानमंत्री बने। नवाज शरीफ और बिलावल इमरान को इलेक्टेड नहीं बल्कि सिलेक्टेड पीएम बताते हैं। 16 तारीख की मीटिंग में बाजवा ने विपक्षी नेताओं को चेतावनी दी कि फौज को सियासी मामलों में न घसीटा जाए।
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