चीन के खिलाफ ज्यादा सख्त साबित हो सकते हैं बाइडेन, उप राष्ट्रपति के तौर पर बीजिंग उन्हें अच्छा दोस्त मानता था
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के शासनकाल में चीन और अमेरिका के रिश्ते सबसे खराब दौर में पहुंच गए। कोरोनावायरस, ट्रेड डील, साउथ चाइना सी, ताइवान और जासूसी के मुद्दे पर ट्रम्प ने बिना किसी लाग-लपेट के चीन को कठघरे में खड़ा किया। चुनावी दौर में डेमोक्रेट कैंडिडेट जो बाइडेन भी उसी रास्ते पर चलते नजर आ रहे हैं। हालांकि, 2009 से 2017 के बीच जब वे उप राष्ट्रपति थे तब चीन को लेकर उनका रवैया दोस्ताना था। ये बात चीन भी मानता है। लेकिन, अब हालात बिल्कुल अलग हैं।
बाइडेन ज्यादा घातक साबित होंगे
चीन के एक्सपर्ट मानते हैं कि बाइडेन चीन को ज्यादा नुकसान पहुंचाएंगे। चीन दुनिया को लेकर जिस एजेंडे पर चल रहा है, उसे बाइडेन कभी मंजूर नहीं करेंगे। वे पहले ही साफ कर चुके हैं कि क्लाइमेट चेंज, उईगर समुदाय का दमन और हॉन्गकॉन्ग के मुद्दे पर वे ट्रम्प से ज्यादा सख्त रवैया अपनाएंगे। उनका फोकस अमेरिकी के मित्र राष्ट्रों को फिर एकजुट करना होगा, ताकि चीन को माकूल जवाब दिया जा सके। बीजिंग की रेन्मिन यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर चेंग झियाहो कहते हैं- चीन के खिलाफ बाइडेन की नीतियां ज्यादा सख्त और कारगर साबित होंगी। वे इन्हें ज्यादा असरदार तरीके से लागू करेंगे।
ट्रम्प के कैम्पेन में चीन पर फोकस
अगर चुनाव प्रचार की बात करें तो ट्रम्प चीन को लेकर ज्यादा आक्रामक दिखते हैं। उनके हर भाषण में फोकस चीन पर भी किया जाता है। कोरोनावायरस, ट्रेड और टेक्नोलॉजी को लेकर बाइडेन की तुलना में उनका रवैया ज्यादा तल्ख दिखता है। यूरोप और एशिया के नेताओं को उन्होंने चीन के खिलाफ एकजुट भी किया है। टिकटॉक को उन्होंने अमेरिकी कंपनियों के साथ काम करने पर मजबूर कर दिया। हालांकि, कुछ एक्सपर्ट्स मानते हैं कि ट्रम्प की अमेरिका फर्स्ट पॉलिसी से चीन को फायदा हुआ।
अमेरिकी दावे गलत
ट्रम्प और अमेरिका के कई अफसर चीन पर राष्ट्रपति चुनाव को प्रभावित करने का आरोप लगाते हैं। चीनी अफसर दोनों ही कैंडिडेट्स पर खुलकर कुछ नहीं कहते। अमेरिका में चीन के राजदूत कुई तिनकेई इन आरोपों को खारिज कर देते हैं कि बीजिंग अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में दखलंदाजी कर रहा है। चीन के एक्सपर्ट्स मानते हैं कि चाहे ट्रम्प जीतें या बाइडेन। शी जिनपिंग की आर्थिक और भौगोलिक विस्तार की हसरतें पूरी होना अब बहुत मुश्किल होगा।
बाइडेन चीन के लिए बिल्कुल अनजान नहीं
एक बात नोट की जानी चाहिए। बाइडेन चीन के लिए अनजान व्यक्ति नहीं हैं। जिनपिंग उन्हें काफी पहले से जानते हैं। 2001 में जब वे सीनेटर थे तो डब्ल्यूटीओ में चीन की एंट्री का उन्होंने पुरजोर समर्थन किया था। ट्रम्प इसी बात को लेकर बाइडेन पर तंज कसते हैं। ओबामा के दौर में बाइडेन 8 साल उप राष्ट्रपति रहे। ओबामा के कहने पर ही उन्होंने जिनपिंग से अच्छे रिश्ते बनाए थे। 2013 में चीन के दौरे पर उन्होंने अमेरिकी जर्नलिस्ट को चीन से बाहर निकालने पर सख्त रुख अपनाया था। जिनपिंग ने बाइडेन को अपना पुराना दोस्त बताया था। ट्रम्प इस पर भी तंज कसते हैं।
लेकिन, दोस्त अब बदल गया
हालात बदल गए हैं। अब बाइडेन का नजरिया चीन के प्रति ट्रम्प से कहीं ज्यादा सख्त नजर आ रहा है। पिछले हफ्ते उन्होंने कहा था- हमें चीन से मुकाबला करना है। फुदान यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर वेई जोंगयू कहते हैं- ट्रम्प और बाइडेन में से जो भी चीन के प्रति नर्म दिखेगा, उसे सियासी तौर पर नुकसान होना बिल्कुल तय है। चीन को डर है कि ह्यूमन राइट्स, उईगर मुस्लिम और दलाई लामा को लेकर बाइडेन का रवैया बहुत सख्त रहेगा। चीन के एक्सपर्ट्स मानते हैं कि एशिया और दुनिया के बाकी हिस्सों में चीन के कारोबारी दबदबे को लेकर बाइडेन काफी चिंतित हैं और अगर वे राष्ट्रपति बनते हैं तो इसके नतीजे सामने जरूर आएंगे।
प्रोफेसर शी यिनहोंग कहते हैं- ट्रम्प के दौर में दोनों देशों में सैन्य टकराव नहीं हुआ। बाइडेन के दौर में इसकी आशंका है। चीन के साथ करीबी रिश्ते रखने वाले ऑस्ट्रेलिया के पूर्व प्रधानमंत्री केविन रूड कहते हैं- चीन की नजर में ट्रम्प नेगेटिव सोच वाले व्यक्ति हैं। कुछ चीनी एक्सपर्ट्स मानते हैं कि बाइडेन क्लाइमेट चेंज और पब्लिक हेल्थ पर चीन के साथ सहयोग करेंगे।
अलग-अलग नजरिया
पीकिंग यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर जिया क्विनगुआओ कहते हैं- बाइडेन राष्ट्रपति बनते हैं तो दोनों देशों में तनाव और विवाद तो जारी रहेंगे, लेकिन कुछ सहयोग भी देखने मिलेगा। फुदान यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर वेई कहते हैं- एक बात तो तय है और ये सभी जानते हैं कि चाहे ट्रम्प जीतें या बाइडेन। चीन के खिलाफ अमेरिकी रवैया और नजरिया अब नहीं बदलेगा। रिश्ते पहले की तरह दोस्ताना नहीं रहेंगे।
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
Dainik
No comments:
Post a Comment